Saturday 13 November 2021

Sandalwood body

ज्ञानशालाखा

"यह शरीर चंदन की तरह हो गया"


रंगीन फूल आपके धारक के लिए आपके रंगों की खुशबू बिखेर दें।
उगता हुआ सूर्य अपनी सुनहरी किरणों से पृथ्वी को सुशोभित करे।
जैसे वर्षा दोमट मिट्टी पर छा जाती है। 
जिस प्रकार मरुस्थल में मंद वायु सीटी बजाती है। 
उसी प्रकार श्रद्धालु साधक अपने देवता की कृपा में सदैव अग्रसर रहता है।

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उसके आज्ञा चक्र पर फूलों के रंग नाचते हैं। भीगी हुई मिट्टी की महक उसकी सांसों से निकलती है। उनके ज्ञान में सुनहरी किरणें चमकती हैं। भौंरा की तरह यह साधक हर बार अपने देवता के कमल-समान प्रेम में कैद हो जाता है। अस्तित्व की जागरूकता समय के घूंघट में छिपी है। कैफ विचारों से भरा है। उसकी पलकें हमेशा खुशी के आंसुओं से भरी रहती हैं, यह सोचकर कि यह जन्म छोटा होगा।

बिना मांगे जीभ पर मिलने वाला स्वाद प्रलोभन की चर्बी को कम करता है। जो साधक इस दृश्य को बन्द आँखों से देखता है, वह वस्तुतः अंधेपन से बाहर होता है। आपकी वांछित शक्ति का स्पर्श उसके रोमांच को जगा देता है। जैसे ही वातावरण में दबाव गायब हो जाता है, सुनने की भावना नीरस हो जाती है। इस चरचर के कण-कण में ईश्वर का रूप विद्यमान है यह जानकर साधक निर्दोष हो जाता है। वह जातिगत भेदभाव से लेकर लैंगिक भेदभाव तक हर चीज में उदास है। चन्दन जैसे गुरुओं के संग में ही सम्मान मिलता है।


Spiritual Life Coach 

ऐसी स्थिति में चंदन को भगवान और भगवान को चंदन प्रिय होते हैं। जब यह शरीर स्वयं चंदन बन जाता है, तो उस शरीर की आवश्यकता सभी को महसूस होने लगती है। वह जहां भी जाते हैं अपने आगमन के साथ ही ज्ञान की सुगंध देते रहते हैं। इसलिए सच्चे साधक की मांग होती है कि, ज्ञान सागर में डूब कर इस शरीर का चंदन बन जाए और इसी जीवन में प्रसिद्धि के रूप में ही रहे।

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