Thursday 18 November 2021

Destiny / नियती

नियति के गर्भ में

इसमें क्या छिपा है, यह कोई नहीं जानता। जो जानने की कोशिश करता है, वह कभी सफल होता है और कभी असफल। वास्तव में, उसकी सृष्टि में हस्तक्षेप करना कभी भी उसके लिए स्वीकार्य नहीं है, लेकिन मनुष्य इसे अपने लिए गलत कर रहा है। नियति हर बार संकेत देकर हमारा मार्गदर्शन करती है। लेकिन हम मोह में आशा का पीछा कर रहे हैं। भगवान से नाना मन्नोतोद्वारा हम नियति के निर्माण में हस्तक्षेप कर रहे हैं।


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हम कभी-कभी व्यक्ति, गुरु, ईश्वर को सही समय पर धारण करके अपने मानस के लिए धार्मिकता को नीचा दिखाते हैं। हम यह मानने लगे हैं कि जो हमारी इच्छा के विरुद्ध जाता है वह बुरा है और जो अपने मन की तरह व्यवहार करता है वह अच्छा है। कर्म का फल कभी मिलता नहीं, कभी-कभी हाथ जोड़कर तुरन्त हमारे सामने खड़ा हो जाता है.. यहीं से नैराश्य की भूमिका शुरू होती है।

जैसे मां के गर्भ में जन्म लेने वाले बच्चे के लिंग की जांच करना अपराध है। उसीप्रकार साथ ही भाग्य के गर्भ में सफलता/असफलता का पता लगाना एक नियमबाह्य है। मेरे जैसे कुछ साधकों या अन्य ज्योतिषियों ने आपके पास आने वाले याचकों के लिए इस नियम को आसानी से नजरअंदाज करते है। वास्तव में इसके प्रतिकूल/अनुकूल फल की जिम्मेदारी स्वयं की होती है।

जिसप्रकार कभीकभी गर्भ में पल रहे शिशु की अचानक मृत्यु हो जाती है और उसीतरह भाग्य के गर्भ में आपकी सफलता/असफलता घुटन/दब जाती है। आस्था-श्रद्धा-जिद्द-संयम अस्थिर हो जाता है। हमारेद्वारा भगवान को भी करोड़ों अपमान भोगने पड़ते हैं। लेकिन वह प्रारब्ध, जो कि आदि शक्ति है, वह हमारी शतरंज पर अपनी दृष्टी जमाये हुए है। स्थिर-शांत-अचल भूमिका में भी, वह अपने एक-एक प्यादे को आगे बढ़ाती है।

कई जीव इस सृष्टिका भाग है, और भाग्य का हिस्सा हैं। भाग्यचक्र के साथ गुजरने वाला व्यक्ति संतुष्ट होता है। जो इसका विरोध करता है, वह उम्र, धन, रूप, ज्ञान के मामले में कितना भी महान क्यों न हो, वह निराशा में पड़ जाता है।


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वह सुख के पीछे भागता है, वह आसानी से नीतिमत्ता को छोड़ देता है। हाल ही में, खुशी की परिभाषा बदल गई है। घर के व्यक्ति को भी सुप्रभात बोलने के लिए मोबाइल का प्रयोग करना पड़ता है। मजे की बात यह है कि, महामारी के दौरान हमारे ही अंग हमें अछूत लगने लगे। जीव जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा था, और आत्मा बेचैन हो गई। एक पल के लिए, महाभारत के युद्धविराम समयवाली  कुंती की याद आई।

नियति तब थी, और निरंतर  है, हमारे पास समय ही कम है, कर्म सवाल पुछ रहे हैं, हमें जन्म क्यों मिला इसका हमें स्मृतिभ्रंश हो गया है । मानव, अभी समय नहीं बीता, भाग्य आपके हाथ में है, भाग्य का प्रतीक है, पर्यावरण, प्रकृति, संस्कृति का भविष्य आपके हाथ में है। यह जानने के लिए ही नियति द्वारा आपको एक जन्म काल दिया गया है।

जब तक उसकी कृपा है तबतक ठीक है, नहीं तो वह आपको अग्निताण्डव, त्सुनामी, तूफानों के द्वारा सबकुछ आसानी से नष्ट कर सकती है। शतरंज तो उसने बिछाया है, पर जब चाल आपकी हो, तो वह बेहतरीन हो, यह आपके बुद्धि की परीक्षा है, बाकि तो आप समज़दार हो ही..!    Follow

Saturday 13 November 2021

Sandalwood body

ज्ञानशालाखा

"यह शरीर चंदन की तरह हो गया"


रंगीन फूल आपके धारक के लिए आपके रंगों की खुशबू बिखेर दें।
उगता हुआ सूर्य अपनी सुनहरी किरणों से पृथ्वी को सुशोभित करे।
जैसे वर्षा दोमट मिट्टी पर छा जाती है। 
जिस प्रकार मरुस्थल में मंद वायु सीटी बजाती है। 
उसी प्रकार श्रद्धालु साधक अपने देवता की कृपा में सदैव अग्रसर रहता है।

अधिक जानकारी के लिए
 
उसके आज्ञा चक्र पर फूलों के रंग नाचते हैं। भीगी हुई मिट्टी की महक उसकी सांसों से निकलती है। उनके ज्ञान में सुनहरी किरणें चमकती हैं। भौंरा की तरह यह साधक हर बार अपने देवता के कमल-समान प्रेम में कैद हो जाता है। अस्तित्व की जागरूकता समय के घूंघट में छिपी है। कैफ विचारों से भरा है। उसकी पलकें हमेशा खुशी के आंसुओं से भरी रहती हैं, यह सोचकर कि यह जन्म छोटा होगा।

बिना मांगे जीभ पर मिलने वाला स्वाद प्रलोभन की चर्बी को कम करता है। जो साधक इस दृश्य को बन्द आँखों से देखता है, वह वस्तुतः अंधेपन से बाहर होता है। आपकी वांछित शक्ति का स्पर्श उसके रोमांच को जगा देता है। जैसे ही वातावरण में दबाव गायब हो जाता है, सुनने की भावना नीरस हो जाती है। इस चरचर के कण-कण में ईश्वर का रूप विद्यमान है यह जानकर साधक निर्दोष हो जाता है। वह जातिगत भेदभाव से लेकर लैंगिक भेदभाव तक हर चीज में उदास है। चन्दन जैसे गुरुओं के संग में ही सम्मान मिलता है।


Spiritual Life Coach 

ऐसी स्थिति में चंदन को भगवान और भगवान को चंदन प्रिय होते हैं। जब यह शरीर स्वयं चंदन बन जाता है, तो उस शरीर की आवश्यकता सभी को महसूस होने लगती है। वह जहां भी जाते हैं अपने आगमन के साथ ही ज्ञान की सुगंध देते रहते हैं। इसलिए सच्चे साधक की मांग होती है कि, ज्ञान सागर में डूब कर इस शरीर का चंदन बन जाए और इसी जीवन में प्रसिद्धि के रूप में ही रहे।

नाथपंथीयआध्यात्मिक मार्गदर्शन, पूजा, वनस्पति विज्ञान, जप, साधना, भारतीय वास्तुशास्त्र, नौकरी-व्यवसाय, विवाह, रुद्राक्ष, समस्या-समाधान, आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए  YouTube पर नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करें। टिप्पणी करने के लिए स्वतंत्र महसूस करें।


Friday 5 November 2021

Spiritual knowledge

ज्ञानशलाका                                                      

ज्ञानमीमांसा

"क्या यह शरीर प्रकृति में जाएगा?"


अचानक, कुछ लोगों ने मेरे सिर और पैरों पर कुल्हाड़ियों से वार किया, और मैंने उन्हें अपनी छाया में आराम दिया, मेरी शाखाओं पर पत्ते और फूल जीवन भर बढ़ते रहे। वही लोग आज मुझ पर हमला कर रहे थे। आज मैं अपनी जड़ों और शाखाओं से अलग हो गया था। मेरे पैर और सिर चले गए थे। मेरे पास केवल एक ओन्डका बचा था। कुछ लोगों ने मुझे उठाकर लाचार की तरह नदी में फेंक दिया और पानी की गति मुझे अपनी ओर खींच रही थी।

पानी में धीमेपन की कमी के कारण, मैं लगातार आगे बढ़ रहा था, न जाने क्या दिशा थी, उद्देश्य क्या था। आज, हालांकि, यह एक आपदा थी, मैं दस, पंद्रह फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गया था। मेरी पीठ अच्छी तरह छिल गई थी। लेकिन मेरी पीड़ा को कोई नहीं समझा। क्या आपने कभी सोचा है कि क्या उस नदी के किनारे की चट्टानों ने मुझे बांधे रखा था, लेकिन अब जब मुझे आराम मिल गया है, तो मैं यही ढूंढ रहा हूं? एक पल में, यह क्षणभंगुर हो गया और मेरे पीछे एक निशान ने मुझे आगे बढ़ाया, अब रुकने का समय नहीं है। वह मुझ पर चिल्लाते और थोड़ी देर के लिए मेरी जगह ले लेते। एक बार फिर अभिमन्यु की यात्रा जारी थी। कुछ दूरी पर कुछ लोग खड़े थे, मानो मेरी प्रतीक्षा कर रहे हों। मुझे फिर से उठाया गया और आज मैं रणवीर का उतना ही आभारी हूं जितना वह अपनी मातृभूमि में लौटने पर था। मैं कई परछाइयों के ढेर में गिर गया था। आज इन लोगों ने मुझे दफनाने का फैसला किया था। मेरा ढेर कई टुकड़ों से बना था और मैं अकेला गवाह बचा था। मेरे ऊपर एक हड्डी का जाल बिछाया गया था।


Image by Stefan Keller from Pixabay


कुछ ही पलों में हम दोनों जलकर राख हो गए। एक बार फिर बहते नदी के पानी में दो जीवों की यात्रा शुरू हुई।

हमारा सफर इतना लंबा था कि हमें पता ही नहीं चला कि हम किस दिशा में रह गए हैं। मनुष्य और प्राकृतिक पेड़ प्राकृतिक हैं। जीवन भर संस्कृति का पाठ सीखते रहे और कई बरसातों को देखते रहे ये दोनों आखिरी कदम पर आग के शिकार हो जाते हैं......

उनके बचे हुए चित्र भी पानी में मिल जाते हैं.. और क्या यह यात्रा रुक जाती है? इस तरह कोई प्रकृति की अज्ञात दुनिया में कहीं प्रवेश करता है, कौन जाने?

Wednesday 3 November 2021

Shabar Tantra

शाबरतंत्र  पौधा, आइए जानें निम्नलिखित पौधों के गुणों के बारे में..

आज तक हमने देखा है कि वनस्पति विज्ञान कितना गहरा है। नाथजी  ने समय-समय पर अपने गोरख किमायगर में इस बात का जिक्र किया है। दाम्पत्य जीवन में सौभाग्य के लिए.. शाबरी मंत्र में कई सिद्ध पौधों में निम्नलिखित पौधों का उल्लेख है। केवल इन पौधों की संगति में रहने से मनुष्य पर उस पौधे के गुणों की तरह महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं निम्नलिखित पौधों के गुणों के बारे में।

वासन वेल -



यह पौधा शादीशुदा लोगों के लिए है। जिन जोड़ों को प्रेम या शारीरिक आनंद की कोई इच्छा नहीं है या वे इसे खो चुके हैं, उन्हें अपनी सहमति से इसका उपयोग करना चाहिए।

और अधिक जानें।